ब्लूटूथ से जुड़े कुछ मिथक और सच
जयपुर। वायरलेस टेक्नोलॉजी में उपयोग किया जाने वाला लोकप्रिय गैजेट ब्लूटूथ एक पर्सनल एरिया नेटवर्क (पैन) के लिए इंडस्ट्रियल स्पेसिफिकेशन है। इसका उपयोग फोन, लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर, प्रिंटर, डिजिटल कैमरे, मोबाइल फोन आदि उपकरणों के बीच बिना वायर कनेक्शन किए सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। काफी समय से यूजर्स के बीच इसका चलन बहुत आम हो चुका है। हालांकि इसके बारे में उनके मन में कई गलत धारणाएं हैं, जिनको भुलाकर यहां दिए जा रहे सही तथ्यों पर गौर करना चाहिए।
- ब्लूटूथ ऑन रखने से बैट्री खत्म होती है
मार्केट में स्मार्टफोन्स के आने के बाद से ही यह माना जाता है कि ब्लूटूथ को स्विच ऑन करने से बैट्री लाइफ ड्रॉप होती थी, क्योंकि एक बार कनेक्शन चालू करने के बाद इसे डिवाइसेज के साथ पेयर करना जरूरी था। अब नए ब्लूटूथ स्टैंडर्ड्स (वर्जन 4 व उससे आगे) में लो-एनर्जी मॉड्यूल (एलई) आने से यह समस्या दूर हो गई है। ये मॉड्यूल अलग-अलग टेक्नोलॉजीज का उपयोग करते हैं और आपके आसपास ब्लूटूथ डिवाइसेज सर्च करने के लिए ब्लूटूथ के पुराने वर्जन्स से कम पावर खर्च करते हैं। इसी तरह, एक बार कनेक्शन करने के बाद यदि डेटा ट्रांसफर नहीं हो रहा हो, तो एलई डिवाइस बहुत ज्यादा पावर नहीं काम में नहीं लेता।
- छोटे कमरों में ही काम करता है ब्लूटूथ
ब्लूटूथ के तीन क्लास होते हैं। पावर सोर्स या एक महत्वपूर्ण पावर यूनिट वाली डिवाइसेज में केवल ब्लूटूथ क्लास वन मिलेगा जिसकी रेंज करीब 100 मीटर होगी। ज्यादातर स्मार्टफोन्स और टैबलेट्स ब्लूटूथ क्लास टू या थ्री का उपयोग करते हैं। क्लास टू के लिए रेंज 10 मीटर के आसपास और क्लास थ्री के लिए 10 मीटर से कम होती है।
- सेहत के लिए नुकसानदायक
यह ध्यान रखें कि मोबाइल फोन की तुलना में ब्लूटूथ हेडसेट्स के माध्यम से बात करना ज्यादा सुरक्षित होता है। किसी क्लास -वन डिवाइस के लिए ब्लूटूथ का अधिकतम आउटपुट पावर का 100 मिलीवॉट ( mW) होता है। हालांकि यह कभी-कभार ही होता है जबकि ज्यादातर ब्लूटूथ डिवाइसेज में एक मिलीवॉट की पावर होती है। स्टैंडर्ड फोन्स (3जी या 4जी सर्विस) 1,000mW या 2,000mW पर ऑपरेट करते हैं।
0 Comments
Thank you for comment