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जिंदगी का सत्य




जहां क़दर नहीं, वह जाना नहीं।

जो पचता नहीं, वो कभी खाना नहीं।

जो सत्य पर रूठे, उसे मनाना नहीं।

जो नजरों से गिर जाए, उसे उठाना नहीं।

मौसम सा जो बदले, दोस्त बनाना नहीं.

यह तकलीफ़ तो हिस्सा है ज़िंदगी का,

मेरे दोस्त... डटे रहना, घबराना नहीं।



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