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फिल्म समीक्षा : राजपूत राजाओं के पराक्रम की गाथा है 'पद्मावत'



संजय लीला भंसाली की बहु चर्चित व विरोध झेल रही फिल्म पहले पद्मावती के नाम से रिलीज होने वाली थी, लेकिन इसके भारी विरोध को देखते हुए इसका नाम बदलना पड़ा। इसका नाम पद्मावती से पद्मावत किया गया। इसको 24 जनवरी को बेंगलुरू में रिलीज किया गया, जहां पर फिल्म को पत्रकारों और कई नामी हस्तियों को दिखाया गया। यह फिल्म 25 जनवरी को पूरे देश में रिलीज हो रही है।

यह फिल्म पूरी तरह से राजपूतों की आन-बान और शान पर चर्चा करती है, लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि 'पद्मावत' अलाउद्दीन खिलजी को काफी बढ़ा चढ़ा कर पेश करती है और कई दृश्यों में वो सुपर विलेन की तरह नजर आता है।

चित्तौड़ की महारानी और महाराजा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मावती के प्रति सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की सनक और अपने सम्मान के लिए पद्मावती के जौहर को भंसाली ने बेहतरीन तरीके से बड़े पर्दे पर उतारा है।

भंसाली ने बेशक एक सिनेमैटिक फिल्म बनाई है। लेकिन इसकी कहानी भी भंसाली की पिछली फिल्म बाजीराव मस्तानी की तरह थोड़ी इमोशनल टच लिए हुए है। 16वीं शताब्दी के सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी की काव्य रचना 'पद्मावत' में एक ऐसे सनकी सुल्तान की कहानी है, जो दुनिया की हर सुंदर महिला को पाना चाहता है। जिस महिला को सुल्तान पा नहीं सका, जायसी उसकी ही कहानी कहते हैं।

फिल्म पद्मावत की शुरुआत में ही इस बात की झलक मिलती है, जब खिलजी कहता है, अल्लाह की बनाई हुई हर नायाब चीज पर अलाउद्दीन का हक है। फिल्म में महाराजा रतन सिंह का किरदार शाहिद कपूर और रानी पद्मावती का किरदार दीपिका पादुकोण ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से निभाया है। उनके बीच रोमांस और रानी पद्मावती की खूबसूरती को जिस तरीके से दिखाया गया है, वो फिल्म को आगे ले जाते हैं।

महाराजा रतन सिंह के किरदार में शाहिद कपूर के हावभाव, राजपूताना अंदाज और उसी शैली में बातचीत बहुत प्रभावित करते हैं। 'पद्मावती' बनी दीपिका पादुकोण की बात की जाए तो हर फिल्म के बाद उनका टैलेंट निखरता जा रहा है। बाजीराव मस्तानी के बाद पद्मावती बनी दीपिका का अंदाज लोगों के जेहन में बस जाएगा।

फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और महारानी पद्मिनी के बीच कोई भी ड्रीम सीक्वेंस या किसी भी तरह का दृश्य नहीं है। फिल्म में राजपूत समाज और उसके पराक्रम को ही स्क्रीन पर दिखाने का प्रयास किया गया है। वहीं उस समय की महिलाओं के आत्मसम्मान की दास्तां को भी बयान किया गया है।

फिल्म में किरदारों की अगर बात करें तो दीपिका पादुकोण का अभिनय जबदस्त है। रानी पद्मिनी के किरदार में दीपिका का काम सराहनीय है। वहीँ शाहिद कपूर ने महाराजा रावल रतन सिंह के किरदार में एक जिम्मेदार पति और राजा का किरदार बखूबी निभाया है।

अलाउद्दीन खिलजी जैसे क्रूर व्यक्तित्व के इंसान को पर्दे पर निभा पाने में रणवीर सिंह ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। बहुत ही अद्भुत और लाजवाब अंदाज में रणवीर ने अपने किरदार के ऊपर काम किया है और वो फिल्म में नजर भी आता है।

इसके अलावा रजा मुराद अदिति राव हैदरी, जिम सर्भ, आयाम और बाकी सभी किरदारों ने सहज अभिनय किया है।




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